Bhool Chuk Maaf: Doston, सोचिए! सुबह उठो… देखो फिर वही तारीख… फिर वही हल्दी… फिर वही गोबर वाली गली! 😂 राजकुमार राव की नई कॉमेडी में क्या है दम? क्यों थिएटर छोड़ OTT पर आई? जानने के लिए पढ़ें पूरी स्टोरी!
Picture this: रंजन (Rajkummar Rao) – बनारस का एक “सरकारी नौकरी का भूखा” लड़का। शादी से एक दिन पहले फंस गया टाइम-लूप में! हर सुबह उठता है, और देखता है कि आज फिर 29 तारीख है! फिर से हल्दी सेरिमनी, फिर से “ओये दुल्हे राजा!” की चिल्लाहट, और फिर से वही गाय का गोबर जिसपर वो हर बार पैर रख देता है! ये है Bhool Chuk Maaf की कहानी – एक रोम-कॉम जहाँ भगवान शिव भी हैं, भ्रष्टाचार भी है, और “पापा की परी” टिटली (Wamiqa Gabbi) भी! लेकिन क्या ये फिल्म आपका दिल जीत पाई? चलो, बिना समय गँवाए, फिल्म के हर पहलू पर बात करते हैं!
🎬 कहानी का ज़ायका: वोट, रिश्वत और टाइम-लूप!
रंजन की ज़िंदगी का सपना है – टिटली से शादी! पर उसके ससुर जी (Zakir Hussain) ने शर्त रखी: “बेटा, सरकारी नौकरी लाओ!” मजबूरन रंजन भगवान दास (Sanjay Mishra) नाम के एक दलाल को ₹2 लाख की रिश्वत देकर नौकरी पक्की करता है 6. शादी की धूम शुरू! हल्दी सेरिमनी जोरों पर… अगले दिन वेडिंग! लेकिन अगली सुबह रंजन चौंकता है – “अरे यार! ये 29 तारीख फिर कैसे आ गई?” 😱 वो फँस गया है एक अनंत लूप में, जहाँ हर दिन वही 29 तारीख दोहराती है! क्यों? क्योंकि उसने भोले बाबा से मन्नत माँगी थी नौकरी की, लेकिन रिश्वत का पाप किया था! अब उसे एक “सच्चा अच्छा काम” करना होगा ताकि लूप टूटे 10.
🎭 कलाकारों का जलवा: राजकुमार तो धमाल, बाकी फीके!
1. राजकुमार राव (रंजन):
अपने “छोटे-शहर के लड़के” रोल में फिर से हिट! उसकी कॉमिक टाइमिंग, फ्रस्ट्रेशन और हताशा देखने लायक है। खासकर जब वो नाक पर मूँछ रगड़ता है या आँखें फड़काता है – पूरा थिएटर हँस पड़ता है! पर स्क्रिप्ट उसे 70% टाइम चिल्लाने पर मजबूर करती है, जो बेवजह लगता है 1.
2. वमीका गब्बी (टिटली):
क्यूट और चुलबुली पर किरदार ही पतला है! फिल्म के आखिरी 20 मिनट तक उसे सिर्फ “हाय रंजन!” कहते दिखाया जाता है। इमोशनल सीन्स भी ठीक थे, पर वो गहराई नहीं दिखा पाईं 4.
3. सहायक कलाकार (सीमा पाहवा, रघुबीर यादव, संजय मिश्रा):
इतने बड़े आर्टिस्ट्स को सिर्फ “प्रॉप्स” की तरह इस्तेमाल किया गया! संजय मिश्रा का क्लाइमेक्स भाषण इतना उपदेश भरा था कि लगा जैसे “मोरल साइंस” की क्लास चल रही हो 16.
⚡ हिट्स & मिसेस: क्या चमका, क्या धुँधला?
😍 हिट्स (जम गया):
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असली बनारस की खुशबू: घाट, गंगा, तंग गलियाँ – सब कुछ रियल लगा! फिल्म वाराणसी की असली लोकेशन्स पर शूट हुई है, जिससे उसकी जान बढ़ गई 11.
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कॉन्सेप्ट की ताकत: “सरकारी नौकरी” और “भ्रष्टाचार” पर सीधा प्रहार! हमीद अंसारी (आकाश मखीजा) का किरदार जो दिव्यांग लड़के का दिल रखता है, दिल छू गया 10.
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राजकुमार का कॉमेडी शो: स्क्रिप्ट कमज़ोर होने के बावजूद, उसके फेसियल एक्सप्रेशन और टाइमिंग ने कमाल किया!
😒 मिसेस (उड़ गया पैसा):
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रिपीटेटिव सीन्स: हर दिन वही झगड़े – गोबर पर पैर, टेलर से लड़ाई, टिटली से झकझोर… बोरिंग हो गया!
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याद न रहने वाले गाने: “कोई ना” के अलावा कोई गाना दिमाग़ में नहीं ठहरा। एडिटिंग भी कच्ची लगी – कभी तेज़, कभी धीमी 1.
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क्लाइमेक्स का उपदेश: संजय मिश्रा का भाषण फिल्म के मूड से बिलकुल मेल नहीं खाता! लगा जैसे “सुधार भारत” का एपिसोड चल रहा हो 4.
💣 OTT विवाद: थिएटर छोड़ो, घर बैठो!
फिल्म को 23 मई 2025 को सिनेमाघरों में रिलीज़ होना था। लेकिन ऑपरेशन सिंदूर (भारत-पाक तनाव) के चलते मैडॉक फिल्म्स ने ऐलान किया: “अब फिल्म सीधा OTT (Amazon Prime) पर आएगी!” 16. पर PVR-INOX ने कोर्ट पहुँच गए – “हमने तो 3 करोड़ के टिकट बेच दिए थे!” 😡 बॉम्बे हाई कोर्ट ने OTT रिलीज़ रोकी और फिल्म 23 मई को थिएटर्स में आई। कमाई हुई ₹46.92 करोड़ – ठीक-ठाक, पर सुपरहिट नहीं कह सकते 10. आखिरकार, 16 मई को ये Amazon Prime पर आ गई 3.
🕵️♂️ पर्दे के पीछे की कहानी: बनारस से लेकर टाइम-लूप तक!
1. टाइम-लूप कॉमेडी का इंडियन ट्विस्ट:
राजकुमार राव खुद मानते हैं: “ये कॉन्सेप्ट फ्रेश है! टाइम-लूप में कॉमेडी, परिवार और भ्रष्टाचार पर स्टोरी कॉम्बो नई है” 6. हालाँकि, ग्राउंडहॉग डे (1993) जैसी क्लासिक फिल्मों के सामने ये फीकी पड़ जाती है।
2. बनारस: सिर्फ़ सेट नहीं, स्टार!
फिल्म की आत्मा है वाराणसी! असली काशी घाट, लोकल बाज़ार, और संगीत घरानों की झलक ने इसे ऑथेंटिक बनाया 9. गंगा आरती के दृश्य में बिस्मिल्लाह खाँ के संगीत की छाया दिखी 5.
3. BTS सीक्रेट्स:
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वमीका गब्बी कहती हैं: “नैरेशन सुनकर ही हँसी छूट गई!” 6.
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संजय मिश्रा के भाषण को लेकर टीम में बहस हुई – कई लोगों ने कहा: “ये प्रीची है!” 1.
🎥 फाइनल वर्डिक्ट: देखें या माफ़ करें?
⭐⭐⭐ (2.5/5) | वर्डिक्ट: “भूल जाओ या माफ़ करो… पर थिएटर मत जाओ!”
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#PaisaVasool? ❌
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#TimePass? ✅ (घर बैठे OTT पर देखें!)
क्यों देखें?
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अगर आप राजकुमार राव के फैन हैं
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अगर आपको छोटे-शहर की कॉमेडी पसंद है
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अगर टाइम-लूप कॉन्सेप्ट में दिलचस्पी है
क्यों न देखें?
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अगर आप हाई-इंटेल कॉमेडी चाहते हैं
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अगर आप ग्राउंडहॉग डे जैसी क्लासिक से तुलना करेंगे
टिप: फिल्म Amazon Prime पर उपलब्ध है 10. इसे फैमिली के साथ देख सकते हैं, पर एक्सपेक्टेशन्स लो रखें!
💡 सीख: क्या मैसेज छोड़ गई फिल्म?
फिल्म की आखिरी लाइन सब कुछ समेटती है: “कभी-कभी अपना सपना छोड़कर दूसरे का सपना पूरा करना ही असली इंसानियत है!” रंजन जब अपनी नौकरी किसी ज़रूरतमंद को देता है, तभी लूप टूटता है! ये भ्रष्टाचार और सरकारी नौकरी के पीछे भगदड़ पर करारा प्रहार है। पर क्या ये मैसेज प्रीची तरीके से पेश हुआ? ज़रूर! फिर भी, सोशल टच अच्छा लगा 10.
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